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*सफा और मरवा पर हज़रत हाज़रा का दौड़ अल्लाह को ऐसा पसंद आया कि ता क़्यामत तक हज़ पर जाने वाले लोगों के लिए अमल बना दिया...!!*

*सफा और मरवा पर हज़रत हाज़रा का दौड़ अल्लाह को ऐसा पसंद आया कि ता क़्यामत तक हज़ पर जाने वाले लोगों के लिए अमल बना दिया...!!*

आज जहाँ जमजम का कुआ है वहां एक दरख्त था,, उस वक्त ना काबा तामीर था ना कोई शहर आबाद , ना किसी इंसान का नामो –निशाँ ,, और दूर-दूर तक पानी भी मयस्सर नही ,, हज़रत इब्राहिम अलै0 अपनी बीवी हाज़रा को एक थेली में कुछ खजूरें और थोड़ा पानी देकर दरख्त के नीचे छोड़कर चल पड़े ,,? हजरत हाजरा ने आपका पीछा करते हुए पूछा “ आप मुझे और आपके मासूम बच्चे इस्माइल को अकेला छोड़कर कहाँ जा रहे हो ? आपने कोई जवाब ना दिया _
हाज़रा पीछे दौड़ पड़ी कहने लगी -“यहाँ कोई हमारा गमख्वार नहीं , दोस्त नहीं , रिश्तेदार भी नहीं है ना ही यहाँ कोई आबादी हैं कि खाने-पिने की कोई चीज मिल जाए ,, ऐ इब्राहिम तुम हमें इस रेगिस्तान में छोड़े कहा जा रहे हो ?’
कई बार पूछने पर भी जवाब ना दिया, हाज़रा की बार–बार दर्द भरी इल्तिज़ा सुनकर हजरत इब्राहिम की आँखे नम हो गई फिर भी जुबान खामोश हैं --
बेक़रार हाज़रा ने दामन पकड़कर फिर पूछा इब्राहिम की आँखों में आंसू है , जवाब ना दिया --
तीसरी बार भी पूछने पर ख़ामोश रहे ,, आप नबी की बीवी हैं समझ गईं   - “ बोलीं क्या अल्लाह का हुक्म है ? और हमें अल्लाह की निगेहबानी में छोड़ रहे हो ?
आपने आँखों में आंसू को थामकर कहा “हाँ “हाज़रा बोली __ आप खैर से जाइए अगर अल्लाह का हुकुम है तब वो हमें जाया नही करेगा __
अलविदा कहकर हाजरा उल्टे पाँव लौट आईं ,, 

हजरत इब्राहिम अलै0 एक घाटी के पास पहुंचे जहां से हाजरा और बेटा नज़र नहीं आ रहे थे,, सिर्फ बेतुल्लाह जो एक टीले की मानिंद उस वक़्त था दिखाई पड़ता है, इब्राहिम अलै0 ने उस तरफ मुंह करके दुआ की _
“ऐ हमारे रब मैंने बसा दिया है अपनी औलाद को इस वादी में जिसमें खेती-बाड़ी नहीं, तेरे घर के पास में,, वो इसलिए कि ये यहाँ रहें तेरी इबादत करें,, उन्हें रिज्क दे ताकि वो तेरा शुक्र अदा कर सकें ,”इब्राहिम अलै0 दुआ करके फिलिस्तीन चल पड़े...!

नबी की और नबी की बीवी की शान _अल्लाह के हुक्म को मानने के लिए एक सुनसान इलाकें में तन्हा छौड़े जाने पर भी उफ़ नहीं और सब्र करती हैं,,ऐसा सुनसान मुकाम जहाँ आदमी का कलेजा भी टुकड़े-टुकड़े हो जाए वहां एक औरत का तन्हा रुकना , बहादुरी और अल्लाह की फरमा-बरदारी का बहुत प्यारा सबुत है ,,
मासूम बच्चा गोद में.., खाने पीने को कुछ नहीं आसपास कोई मददगार नहीं,, सिवाय अल्लाह के_ शौहर से बिछड़ने के ग़म से आपकी आँखों का गोसा भीग गया,, अल्लाह की नाफ़रमानी ना हो जाये हाज़रा ने आंसू गिरने ना दिया,,

उस वक़्त जब काबा भी तामीर नहीं और शहर भी आबाद नहीं हुआ,, आपके पास जो खजूरें और पानी था खत्म हो गया,, हजरत हाजरा भूखी हैं , प्यासी हैं , होंठ सुखकर जर्द होने लगे दूध का बनना भी बंद हो गया,, बच्चा भी भूख से बिलख उठा,, अपने होठों पर जुबान फेरने लगा,, माँ से बच्चे का ये हाल देखा ना गया 😥

आप पानी की तलाश में करीब ही एक पहाड़ी पर चढ़ीं कि कहीं से पानी का पता चले या कोई इंसान ही नज़र आ जाए...! इसी उम्मीद से सामने पहाड़ी पर भी दौड़ती हैं,, इन दोनों पहाड़ों के दरमियान जब पहुंचती हैं तो उन्हें अपना लख्ते –ज़िगर नज़र नहीं आता,, आप घबराकर तेजी से दौड़ लगाती हैं, अब उन्हें इस्माइल नज़र आ रहे हैं आप आहिस्ता हो जाती हैं दोबारा पानी की तलाश में सफा से मरवा और मरवा से सफा इन दोनों पहाड़ों पर बेकरारी के आलम में दौडती हैं बेकरारी के इस आलम में हाज़रा इन दोनों पहाड़ों के सात चक्कर लगाती है,,

अल्लाह की तरफ जो कोई एक कदम बढ़ाता है अल्लाह उसके करीब हो जाता है,, हाज़रा अपने रब की रज़ा के लिए तपते रेगिस्तान में तन्हाई के आलम में जहाँ हमसाया कोई नही, जमीं में घास भी नहीं रात हो गई है फिर भी अल्लाह की रजा के लिए रुकीं,, अल्लाह ने फरमाया “ऐ मेरी बंदी तू मेरे लिए यहाँ रुकी,, तूने सब्र की इन्तहा कर दी,, तेरा ये रुकना और मेरी राह में हिज़रत करना तकलीफों को सहन करना ... तेरे दौड़ लगाने को मैं क़यामत तक कायम रखूँगा, तूने जहाँ और जिस तरह से दौड़ लगाईं इस राह पर मैं नबियों को भी दौड़ाऊँगा , वलियों को दौड़ लगवाऊंगा, गोया तमाम लोगों को जो मेरा घर देखने आयेंगे ऐ मेरी बंदी तेरे दौड़ लगाने को दौहराऊंगा,, आखरी में हाज़रा को आवाज़ सुनाई देने लगती है,, बेकरारी के आलम में आवाज़ सुनाई देना,, आपने दौबारा आवाज़ सुनी तो देखा कि इस्माइल के पास एक फ़रिश्ता खड़ा है,, उस फ़रिश्ते ने इस्माइल की एड़ी पटकने की जगह पर अपना पर दे रखा है जहाँ पर रगड़ने से पानी जारी हो गया।
हजरत हाजरा ने पानी के आसपास पत्थरों से बाँध बनाकर एक होज़ की शक्ल दे दी पानी जोश मार रहा था,, आपने पानी पीया और इस्माइल को भी पिलाया और पानी को कहा “ज़मज़म “ यानी ठहर जा,, पानी ने जोश मारना कम किया और अपने मकाम से निकलता रहा,, इस्माइल की प्यास देखकर बेकरार हाज़रा को सफा और मरवा की दौड़ लगाते हुए अल्लाह ने हाज़रा की अदा को पसंद फरमाया और हाजरा से कहा “ता-कयामत तक इस याद को ताजा करने के लिए हाजी यहाँ चक्कर और दौड़ लगायेंगे जितनी बार ऐ हाज़रा तुम दौड़ी...। “

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